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CWG: सुशीला देवी ने जूडो में सिल्वर मेडल किया अपने नाम, 5 मिनट भी नहीं चला फाइनल मुकाबला

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बर्मिंघम,

जूडो के 48 किलोग्राम फाइनल में भारत की सुशीला देवी लिकमाबाम को हार का सामना करना पड़ा है और उन्हें सिल्वर मेडल से ही संतोष करना पड़ा, फाइनल में सुशीला का सामना साउथ अफ्रीका की मिचेला व्हाइटबोई से था, जिन्होंने गोल्ड पर कब्जा जमाया. दोनों खिलाड़ियों के बीच मुकाबला 4 मिनट 25 सेकेंड तक चला. सुशीला ने सेमीफाइनल में मॉरिशस की प्रिसिल्ला मोरांद को इपपोन से हराया था. उससे पहले सुशीला ने क्वार्टर फाइनल में मालावी की हैरियट बोनफेस को हराया था.

27 साल की जुडोका सुशीला देवी इससे पहले भी राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीत चुकी थीं, वह 2014 के ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में इस इवेंट में भारत के लिए रजत पदक जीतने में कामयाब रही थीं. इसके साथ ही सुशीला देवी कॉमनवेल्थ गेम्स के जूडो इवेंट में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई थीं.

सुशीला का जन्म एक फरवरी 1995 को हुआ था और वह मणिपुर की रहने वाली हैं. सुशीला को बचपन से ही जूडो का शौक था क्योंकि उनका परिवार इस खेल से जुड़ा रहा हैच टोक्यो ओलिंपिक 2020 में सुशील भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली इकलौती खिलाड़ी थी. सुशीला दिग्गज बॉक्सर एमसी मेरीकॉम को अपना आदर्श मानती हैं.

जूडो के खिलाड़ियों को ‘जुडोका’ कहा जाता है. जूडो में तीन तरह से स्कोरिंग की जाती है जिसे इपपोन, वजा-आरी और यूको कहते हैं. इपपोन तब होता है, जब खिलाड़ी सामने वाले खिलाड़ी को थ्रो करता है और उसे उठने नहीं देता, इपपोन होने पर एक फुल पॉइंट दिया जाता है और खिलाड़ी जीत जाता है. सुशीला देवी ने इपपोन के जरिए ही सेमीफाइनल में जीत हासिल की थी.

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