3.5 C
London
Thursday, December 25, 2025
Homeअंतरराष्ट्रीयब्रह्मोस के हाइपरसोनिक वेरिएंट में शामिल होगी जिरकॉन मिसाइल की तकनीक, चीन-पाक...

ब्रह्मोस के हाइपरसोनिक वेरिएंट में शामिल होगी जिरकॉन मिसाइल की तकनीक, चीन-पाक की उड़ेगी नींद

Published on

मॉस्को

भारत और रूस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के नए वेरिएंट को बनाने पर तेजी से काम कर रहे हैं। ब्रह्मोस-2 नाम की यह मिसाइल हाइपरसोनिक स्पीड से चलने में सक्षम होगी। इतना ही नहीं, इस मिसाइल में रूस की सबसे घातक जिरकान मिसाइल की टेक्नोलॉजी का भी इस्तेमाल किया जाएगा। जिरकान दुनिया में सबसे तेज गति से चलने वाली हाइपरसोनिक मिसाइल है। इसकी स्पीड 6100 किलोमीटर से लेकर 11000 किलोमीटर तक है। वर्तमान में ब्रह्मोस दुनिया की एकमात्र ऐसी मिसाइल है जिसे जमीन, हवा, पानी और पनडुब्बी से लॉन्च किया जा सकता है। इस मिसाइल को भारत और रूस ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। इस मिसाइल के अलग-अलग वेरिएंट्स की रेंज 300 से 700 किलोमीटर के बीच है।

पांच से छह साल में पहली उड़ान भरेगी ब्रह्मोस-2 मिसाइल
रूसी समाचार एजेंसी तास से बात करते हुए ब्रह्मोस एयरोस्पेस के सीईओ अतुल राणे ने कहा कि ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के हाइपरसोनिक वेरिएंट ब्रह्मोस-II का काम अडवांस स्टेज में है। इसमें जिरकॉन हाइपरसोनिक मिसाइल की तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। ब्रह्मोस-2 की पहली उड़ान पांच से छह साल में आयोजित की जा सकती है। ब्रह्मोस के हाइपरसोनिक वेरिएंट को रूस के रिसर्च एंड प्रोडक्शन एसोसिएशन ऑफ मशीन-बिल्डिंग  और भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) साथ मिलकर विकसित कर रहे हैं।

रूस की जिरकॉन मिसाइल की तकनीक का होगा इस्तेमाल
अतुल राणे ने बताया कि दोनों पक्षों ने हाइपरसोनिक वर्जन के डिजाइन पर काम किया है। उन्होंने कहा कि जब वे (रूस) हमें तकनीक देंगे, तब हम इसे विकसित करेंगे। शुरुआत में, इसके पहले परीक्षण को 2021 और फिर 2024 के लिए निर्धारित किया गया था। हालांकि, इसमें अब काफी देरी हो चुकी है। ऐसे में मुझे लगता है कि इसके पहले परीक्षण में पांच या छह साल का समय जरूर लगेगा। उनसे सवाल पूछा गया कि क्या ब्रह्मोस-2 मिसाइल में जिरकॉन की कुछ विशेषताएं होंगी, तो उन्होंने कहा कि ऐसा संभव है।

ब्रह्मोस-2 का नहीं करेंगे निर्यात
अतुल राणे ने बताया कि ब्रह्मोस मिसाइल का हाइपरसोनिक वेरिएंट बहुत महंगा होगा। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि हम ब्रह्मोस हाइपरसोनिक संस्करण का निर्यात नहीं कर पाएंगे। इसका उत्पादन केवल रूस और भारत के लिए किया जाएगा। राणे ने समझाया कि भारत मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था का एक सदस्य होने के नाते 300 किमी (186 मील) से अधिक की दूरी और 500 किलोग्राम से अधिक वजन वाली मिसाइल विकसित कर सकता है, लेकिन इसे किसी तीसरे देश को नहीं सौंप सकता।

Latest articles

भेल में उच्चस्तरीय तकनीकी समिति ने किया कारखाने का निरीक्षण,ली बैठक

भेल भोपाल ।भेल भोपाल में उच्चस्तरीय तकनीकी समिति ने बुधवार को भेल कारखाने का...

इंदौर में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का एकदिवसीय धरना प्रदर्शन

इंदौर।श्रमिक विरोधी चार कानून के विरोध में सेंट्रल ट्रेड यूनियन संयुक्त मोर्चा, मध्य प्रदेश...

नए साल पर वैष्णो देवी यात्रा के नियम सख्त

कटरा।नववर्ष के अवसर पर जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री माता...

करोंद इलाके में युवती को कमरे में बंद कर दुष्कर्म

भोपाल।शहर के करोंद इलाके में एक युवती को कमरे में बंद कर उसके साथ...

More like this

राष्ट्रपति भवन में पुतिन का भव्य स्वागत

नई दिल्ली।पुतिन का भारत दौरा आज दूसरे दिन भी जारी है। राष्ट्रपति भवन में...

हांगकांग में 35 मंजिलों वाली 8 इमारतें जलकर खाक, 44 लोगों की मौत

हांगकांग।हांगकांग के ताइ पो जिले में एक बड़े रिहायशी कॉम्प्लेक्स में भीषण आग लग...

ऑस्ट्रेलिया में सड़क हादसा, भारतीय महिला की मौत

मेलबर्न।ऑस्ट्रेलिया में तेज रफ्तार वाहन ने पैदल जा रही भारतीय महिला को टक्कर मार...