रूस-यूक्रेन युद्ध में शांतिदूत बनेगा भारत? मॉस्को में यूं ही नहीं पहुंचे अजित डोभाल

मॉस्को

करीब छह महीने से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच मंगलवार को भारत के एनएसए अजीत डोभाल मॉस्को पहुंचे। अपने रूसी समकक्ष के साथ उनकी तस्वीर भी सामने आई है जो अमेरिका और यूक्रेन को पसंद नहीं आएगी। लेकिन कहा जा रहा है कि डोभाल रूस को यूक्रेन के साथ अपने युद्ध में ‘अमन’ को स्वीकार करने के लिए मनाने की कोशिश कर सकते हैं। डोभाल की मुलाकात बुधवार अपने रूसी समकक्ष निकोलाई पेत्रुशेव से हुई है। फिलहाल रूसी राष्ट्रपति पुतिन से उनकी मुलाकात को लेकर कोई पुख्ता जानकारी सामने नहीं आई है।

न्यूज वेबसाइट न्यूज18 ने सूत्रों के हवाले से बताया कि अमेरिका और फ्रांस व जर्मनी जैसे यूरोपीय देश मॉस्को को सीजफायर के लिए राजी करने के लिए भारत पर भरोसा कर रहे हैं। साथ ही साथ पश्चिमी नेता यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की पर सीजफायर के लिए सहमत होने और रूस के साथ समझौता करने के लिए बातचीत शुरू करने का भी दबाव बना रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारत इसे एक बड़े मौके के रूप में देख रहा है क्योंकि अगर वह सीजफायर लागू करवाने में कामयाब हो जाता है तो यूरोप में उसकी स्वीकार्यता बहुत अधिक बढ़ जाएगी।

रूस और भारत के सुरक्षा सलाहकारों के बीच क्या बात हुई?
इस यात्रा का एक दूसरा अहम पहलू भारत की डिफेंस सप्लाई को समझना है जो भारत की रक्षा तैयारियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यूक्रेन पर हमले के बाद रूस पर लगने वाले प्रतिबंधों और आपूर्ति पर इसके प्रभाव को लेकर भारत चिंतित है। निकोलाई पेत्रुशेव से मुलाकात के दौरान अजीत डोभाल ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर वार्ता की। दोनों पक्षों ने सुरक्षा के क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग से संबंधित मुद्दों के साथ-साथ क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंडे के तहत सामयिक मुद्दों पर चर्चा की।

यूक्रेन ने भारत से की हस्तक्षेप करने की अपील
फरवरी में भारत में यूक्रेनी दूत ने पीएम नरेंद्र मोदी से पुतिन को रोकने में मदद करने और यूक्रेन पर उनके हमले की निंदा करने के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था। इगोर पोलिखा ने कहा था, ‘भारत को पूरी तरह अपनी वैश्विक शक्ति का इस्तेमाल करना चाहिए। पीएम मोदी एक सम्मानित नेता हैं। रूस के साथ भारत की विशेष भागीदारी है। मुझे नहीं पता कि पुतिन कितने नेताओं की बात को सुनेंगे, लेकिन मुझे भरोसा है कि पीएम मोदी की शक्तिशाली आवाज को वह जरूर सुनेंगे।’

रूस यूक्रेन युद्ध पर भारत का रुख
पीएम मोदी ने मई में कहा था कि रूस-यूक्रेन युद्ध में कोई भी पक्ष विजेता नहीं होगा और सभी हार जाएंगे। उन्होंने कहा था कि शांति और वार्ता ही देशों के बीच जारी संघर्ष के समाधान का एकमात्र तरीका है। हालांकि, भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की निंदा नहीं की है। भारत अपने इस बयान पर कायम रहा है कि कूटनीति और बातचीत के माध्यम से संकट का समाधान किया जाना चाहिए। वहीं अजीत डोभाल के रूस दौरे का यूक्रेन ने तीखे शब्दों में विरोध किया है।

यूक्रेनी विदेश मंत्री का तल्ख बयान
एक सवाल के जवाब में यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्री कुलेबा ने कहा कि जब भारत रूसी कच्चा तेल खरीदता है, तो उन्हें यह समझना होगा कि छूट का भुगतान यूक्रेन के खून से करना होगा। भारत को मिलने वाले रूसी कच्चे तेल के हर बैरल में यूक्रेन के खून का एक अच्छा हिस्सा होता है। हम भारत के लिए मित्रवत और खुले हैं। मैंने भारतीय छात्रों को निकालने में समर्थन किया। हमें भारत से यूक्रेन को अधिक व्यावहारिक समर्थन की उम्मीद थी।

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