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PM मोदी पर विवादित डॉक्यूमेंट्री को लेकर घमासान, दिल्ली की कोर्ट का BBC, Wikipedia और Internet Archive को समन

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नई दिल्ली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवादित डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ बनाने को लेकर भाजपा नेता की ओर से दायर मानहानि के मुकदमे पर दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को बीबीसी को समन जारी किया है। भाजपा नेता बिनय कुमार सिंह ने यह कहते हुए अदालत का रुख किया कि वह झारखंड भाजपा की राज्य कार्यकारी समिति के सदस्य हैं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और विश्व हिंदू परिषद (VHP) के सक्रिय स्वयंसेवक हैं। बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री से इन संगठनों के अपमान से उनकी मानहानि हुई है।

अदालत ने 30 दिनों में तलब किया लिखित जवाब
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (ADJ) रुचिका सिंगला ने बीबीसी के अलावा विकिमीडिया फाउंडेशन (जो विकिपीडिया को फंड करती है) और अमेरिका स्थित डिजिटल लाइब्रेरी जिसे इंटरनेट आर्काइव कहा जाता है को भी समन जारी किया। अदालत ने अपने आदेश में कहा, “सुनवाई की अगली तारीख को पीएफ और ई-मोड रिटर्न दाखिल करने पर प्रतिवादी को मुद्दों के निपटारे के लिए सूट जारी करें। पीएफ आज ही दाखिल किया जाए। प्रतिवादी को तारीख से 30 दिनों के भीतर अपना लिखित बयान दर्ज करने का निर्देश दिया जाता है। समन की तामील की किया जाए।” जज सिंगला अब 11 मई को मामले की सुनवाई करेंगी।

आरएसएस, विहिप और भाजपा को बदनाम करने की कोशिश
बिनय कुमार सिंह ने एडवोकेट मुकेश शर्मा के जरिए दायर मानहानि के मुकदमे में कहा गया है कि बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री ने आरएसएस, विहिप और भाजपा जैसे संगठनों को बदनाम किया है। उन्होंने अपने मुकदमे में कहा, “आरएसएस और वीएचपी के खिलाफ लगाए गए आरोप संगठनों और उसके लाखों सदस्यों/स्वयंसेवकों को बदनाम करने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से प्रेरित हैं। इस तरह के निराधार आरोप न केवल निराधार हैं, बल्कि आरएसएस, वीएचपी की प्रतिष्ठा और छवि को नुकसान पहुंचाने की क्षमता भी रखते हैं।”

देश में आतंक, भय और हिंसा का माहौल बनाने की साजिश
इसमें आगे कहा गया है कि के संघ, विहिप और भाजपा के लाखों सदस्य/स्वयंसेवक, जिन्होंने भारत के सांस्कृतिक, सामाजिक और राष्ट्रीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए खुद को प्रतिबद्ध किया है को अपमानित करने की कोशिश डॉक्यूमेंट्री ने की है। डॉक्यूमेंट्री की रिलीज ने विभिन्न समूहों के सदस्यों के बीच आतंक और भय का माहौल पैदा किया है। इसके अलावा देश भर में एक बार फिर से हिंसा भड़काने और सार्वजनिक व्यवस्था को खतरे में डालने की क्षमता रखता है।

बीबीसी, विकिमीडिया और इंटरनेट आर्काइव पर क्या हैं आरोप
सूट में कहा गया है, “प्रतिवादी नंबर 1 (बीबीसी) ने दावों की प्रामाणिकता की पुष्टि किए बिना रणनीतिक और उद्देश्यपूर्ण रूप से निराधार अफवाहें फैलाईं। इसके अलावा, इसमें लगाए गए आरोप कई धर्म समुदायों, विशेष रूप से हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देते हैं।” अदालत को बताया गया था कि हालांकि भारत सरकार द्वारा डॉक्यूमेंटई पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, फिर भी सीरीज को समर्पित एक विकिपीडिया पेज इसे देखने के लिए लिंक प्रदान करता है और इसकी सामग्री अभी भी इंटरनेट आर्काइव पर उपलब्ध है।

बीबीसी, विकिमीडिया और इंटरनेट आर्काइव के खिलाफ हो कड़ी कार्रवाई
उन्होंने कहा, “यह एक उचित निष्कर्ष की ओर जाता है कि सभी तीन प्रतिवादी देश की छवि को खराब करने के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) जैसे प्रतिष्ठित संगठनों की छवि को खराब करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। ” इसलिए वादी ने बीबीसी, विकिमीडिया और इंटरनेट आर्काइव के खिलाफ एक निषेधाज्ञा के लिए प्रार्थना की ताकि उन्हें आरएसएस और वीएचपी के खिलाफ डॉक्यूमेंट्री या किसी अन्य सामग्री को प्रकाशित करने से रोका जा सके।

 

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