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टमाटर 100, प्याज 60, हरी मिर्च 160… दिल्ली में सब्जियों के दामों में भारी उछाल

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नई दिल्ली:

अगर आप दिल्ली-एनसीआर में रहते हैं तो सब्जी मंडी जाने से पहले एक बार अपना पर्स चेक जरूर कर लें। दरअसल सब्जी के भाव आम आदमी की जेब से बाहर हो गए हैं। दिल्लीमें बारिश के बाद एक ओर जहां लोगों को गर्मी से थोड़ी राहत मिली है, वहीं दूसरी ओर सब्जियों के तेजी से बढ़ते दामों ने आम लोगों को रुला दिया है। पिछले कई दिनों से लोग बढ़ते दामों को लेकर परेशान हैं।

राजधानी दिल्ली में सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। ऐसे में महिलाओं के लिए रसोई का बजट मैनेज करना मुश्किल हो रहा है। कई इलाकों में टमाटर 100 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच चुका है। टमाटर के अलावा भिंडी, प्याज और शिमला मिर्च जैसी सब्जियों के भी दाम आसमान छू रहे हैं। यहां सभी मंडियों में यही हालत है। रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली अदरक 280 रुपये किलो और हरा धनिया 300 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिक रहा है।

क्या है सब्जियों का रेट?
टमाटर 100 रुपये प्रति किलो
हरी मिर्च 160 रुपये प्रति किलो
प्याज 50-60 रुपये प्रति किलो
आलू 40-50 रुपये प्रति किलो
धनिया पत्ता 300 रुपये प्रति किलो
बींस 200 रुपये प्रति किलो
फूलगोभी 160 रुपये प्रति किलो
अदरक 280 रुपये प्रति किलो
लहसुन 280 रुपये प्रति किलो

घर का बजट बिगड़ा
दिल्ली के दक्षिणपुरी मंडी में खरीदारों ने अपना दर्द बयां किया। एक महिला ने बताया कि दाम इतने ज्‍यादा हैं कि कुछ भी खरीदना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा कि लहसुन भी अब 50 रुपये पाव बिक रहा है। उन्होंने कहा, ‘अब सब्जियां खाना पहले से मुश्किल हो गया है। हर सब्जी हमारे बजट से बाहर हो गई है। पहले जो सब्जी हम आधा किलो तक लेते थे वह अब पाव भर ही खरीद पा रहे हैं। टमाटर के दाम भी आसमान छू रहे हैं। यह 70-80 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है। आलू भी 40-50 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिक रहा है।’ उन्होंने कहा कि बढ़ती कीमतों के पीछे मानसून की मार हो सकती है, जिससे सब्जियों के दामों में इजाफा हुआ है।

दिल्ली में कई लोगों ने कहा कि सब्जियों की ऊंची कीमतों ने उनके बजट को बिगाड़ दिया है. लक्ष्मी नगर सब्जी मंडी में किराने का सामान खरीद रही सरिता ने कहा, “मैं सीमित मात्रा में ही खरीद रही हूं और सिर्फ वही चीजें खरीद रही हूं जो रसोई में बिल्कुल जरूरी हैं. आम आदमी अभी सब्जियां नहीं खरीद सकता.” महरौली सब्जी मंडी में दीपक ने कहा, “पहले 200 से 300 रुपये में हम पूरे हफ्ते की सब्जियां खरीद लेते थे, लेकिन अब यह दो से तीन दिन में ही खत्म हो जाती हैं. रसोई का बजट संभालना मुश्किल हो गया है.”

टमाटर की हिमाचल से होती है सबसे ज्यादा आपूर्ति
इस साल तेज गर्मी और देर से हुई बारिश के कारण कीमतों में उछाल आया है. आजादपुर मंडी के थोक विक्रेत भगत ने बताया कि ज्यादातर आपूर्तिकर्ता हिमाचल प्रदेश से टमाटर मंगाते हैं, जहां फसल सूख गई है. पहाड़ों में फसलें बारिश पर निर्भर करती हैं और इस बार बहुत गर्मी थी, बहुत कम बारिश हुई, जिससे पौधे सूख गए और कीटों से संक्रमित हो गए. सूखे के बाद भारी बारिश हुई, जिससे फसलों को और नुकसान पहुंचा. भगत ने बताया, “फिलहाल आपूर्ति कम है और गुणवत्ता खराब है.”

महाराष्ट्र से टमाटर आने में लगेगा समय
ओखला सब्जी मंडी के एक अन्य व्यापारी ने बताया कि अभी केवल दो जगहों से टमाटर की आपूर्ति हो रही है – कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश. अनुमान के मुताबिक, महाराष्ट्र से 10-15 अगस्त के आसपास नई फसल आने तक कीमतें ऊंची रहेंगी. उन्होंने बताया, “नई फसल को उगने में करीब 60 दिन लगते हैं. अनुमान है कि 15 अगस्त के आसपास कीमतें स्थिर होने लगेंगी. मांग अभी भी स्थिर है.

रेस्टोरेंट संचालकों पर भी बढ़ा दबाव
वहीं कई रेस्टोरेंट के लिए सब्जियों के दाम बढ़ने से ग्राहकों को परोसे जाने वाले व्यंजनों की लागत बढ़ गई है, लेकिन वे कीमतों में बदलाव करने से बचते हैं. कनॉट प्लेस में जेन रेस्तरां के मालिक और नेशनल रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के मानद कोषाध्यक्ष मनप्रीत सिंह ने कहा, “अधिकांश रेस्तराओं में निश्चित मेनू होते हैं, और हमारे पास नियमित ग्राहक होते हैं, इसलिए हम आपूर्तिकर्ताओं की तरह अपनी कीमतों में उतार-चढ़ाव नहीं कर सकते. इससे हमारे मार्जिन पर दबाव पड़ता है. हम अपनी कीमतों में बहुत अधिक वृद्धि नहीं करने का प्रयास करते हैं, लेकिन कभी-कभी हमें इन अप्रत्याशित लागत वृद्धि के कारण सालाना ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ता है.”

उन्होंने कहा, “यह उन रेस्तराओं के लिए चुनौती है जिनके पास दाम लिखे हुए मेनू हैं, जिन्हें बार-बार नहीं बदला जा सकता. इलेक्ट्रॉनिक मेनू या टैबलेट वाले रेस्तरां अभी बहुत कम हैं.” यह पूछे जाने पर कि क्या टमाटर, लहसुन और धनिया जैसी वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के कारण रेस्तरां ने व्यंजनों में इनका उपयोग कम कर दिया है, सिंह ने कहा, ऐसा आमतौर पर तब तक नहीं किया जाता जब तक कि बिल्कुल आवश्यक न हो.

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