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Wednesday, December 31, 2025
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बाजार में गिरावट के बीच EPFO ले सकता है बड़ा फैसला, 6.5 करोड़ सब्सक्राइबर्स को होगा फायदा

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नई दिल्ली

EPFO के 6.5 करोड़ सब्सक्राइबर्स को गुड न्यूज मिल सकती है। सरकार उनके EPF अकाउंट में जमा राशि पर ब्याज को लेकर एक नया प्लान बना रही है। सरकार चाहती है कि ईपीएफओ के सब्सक्राइबर्स को हर साल एक जैसा ब्याज मिले। यानी सरकार इसे ईपीएफओ को इनवेस्टमेंट से होने वाली कमाई से अलग रखना चाहती है। इसके लिए सरकार एक नया फंड बनाने की तैयारी में है इंटरेस्ट स्टेबिलाइजेशन रिजर्व फंड कहा जाएगा। इस फंड में हर साल ब्याज से जो अतिरिक्त पैसा बचेगा, उसे जमा किया जाएगा। मान लीजिए किसी साल बाजार गिर गया और EPF को कम मुनाफा हुआ। तब इस फंड से पैसा निकालकर ईपीएफओ मेंबर्स का ब्याज पूरा किया जाएगा। इससे उन्हें हमेशा एक निश्चित ब्याज मिलता रहेगा।

सूत्रों ने बताया कि अभी इस प्लान पर काम चल रहा है। श्रम और रोजगार मंत्रालय ने इसके लिए एक स्टडी शुरू की है। ये स्टडी बताएगी कि ये फंड कैसे काम करेगा और इसमें कितना पैसा रखा जाएगा। एक अधिकारी ने कहा, ‘EPFO अपने सब्सक्राइबर्स को बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाना चाहता है। शेयर बाजार में निवेश पर नफा-नुकसान होता रहता है। इस फंड से EPFO सब्सक्राइबर्स को हमेशा एक जैसा ब्याज मिलेगा।’

कब मिला सबसे ज्यादा ब्याज
दूसरे अधिकारी ने बताया कि हर साल ब्याज से जो अतिरिक्त पैसा बचेगा, उसे इस फंड में रखा जाएगा। अगर शेयर बाजार में कोई गिरावट आती है, तो इस फंड का पैसा इस्तेमाल करके ब्याज दर को स्थिर रखा जा सकेगा। इससे ब्याज दर में अचानक बहुत ज्यादा कमी या बढ़ोतरी नहीं होगी। अभी यह योजना शुरुआती चरण में है। इस साल के अंत तक इस पर और काम होगा। EPFO में फैसला लेने वाली सबसे बड़ी संस्था सीबीटी इसे मंजूरी देगी, उसके बाद ही यह लागू होगा। श्रम और रोजगार मंत्री ही EPFO के चेयरमैन होते हैं। अगर सब कुछ ठीक रहा, तो यह योजना 2026-27 से शुरू हो सकती है।

1952-53 में ईपीएफओ की ब्याज दर 3% थी। धीरे-धीरे बढ़ते हुए 1989-90 में यह 12% तक पहुंच गई। यह अब तक की सबसे ज्यादा ब्याज दर थी। साल 2000-01 तक यही ब्याज दर रही। उसके बाद 2001-02 में यह घटकर 9.5% हो गई। साल 2005-06 में यह और गिरकर 8.5% पर आ गई। फिर 2010-11 में ब्याज दर को बढ़ाकर 9.50% किया गया। लेकिन 2011-12 में इसे फिर से घटाकर 8.25% कर दिया गया। 2021-22 में यह सबसे कम 8.10% तक पहुंच गई थी। अब सरकार इस नए फंड के जरिए ब्याज दरों में इस तरह के उतार-चढ़ाव से बचना चाहती है।

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