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‘वो कोई सुपरहीरो नहीं…’ यूक्रेन से रूस जीते या हारे, भुगतना पुतिन को ही पड़ेगा!

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नई दिल्ली,

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सेनाएं आज से ठीक एक साल पहले जब यूक्रेन पहुंची थीं तो सभी ने अंदाजा लगाया था कि यूक्रेन जल्द ही रूस के सामने घुटने टेक देगा. एक साल बीत जाने के बाद भी यूक्रेन के हौंसले पस्त नहीं हुए हैं. वह मोर्चे पर डटा हुआ है. लेकिन अब सवाल रूस और पुतिन को लेकर उठने लगे हैं.

कई एक्सपर्ट्स ने रूस के बिखरने और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के पतन की आशंका तक जतानी शुरू कर दी है. ऐसे में रूस के एक पूर्व डिप्लोमैट ने कहा है कि अगर पुतिन अपनी शर्तों पर यह युद्ध जीत पाने में सफल नहीं होते हैं तो उन्हें पद छोड़ने को मजबूर किया जा सकता है.

रूस के इन पूर्व डिप्लोमैट का नाम बोरिस बोन्डारेव हैं. बोन्डारेव ने पिछले साल यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद सार्वजनिक तौर पर पद से इस्तीफा दे दिया था. वह जिनेवा में रूस के राजनयिक मिशन में आर्म्स कंट्रोल एक्सपर्ट के तौर पर काम कर रहे थे.

पुतिन कोई सुपरहीरो नहीं
उन्होंने न्यूजवीक को बताया कि पुतिन को राष्ट्रपति पद से हटाया जा सकता है. वह कोई सुपरहीरो नहीं हैं. उनके पास किसी तरह की सुपरपावर नहीं हैं. वह सिर्फ एक साधारण तानाशाह हैं. बोन्डारेव ने कहा कि अगर हम इतिहास के पन्ने पलटकर देखें तो पता चलेगा कि इस तरह के तानाशाहों को समय-समय पर गद्दी से उतरना पड़ा है. आमतौर पर अगर वे जीत भी जाते हैं तो अपने समर्थकों की जरूरतों को पूरा करने में असफल रह जाते हैं.

बता दें कि बोन्डारेव एकमात्र रूसी राजनियक थे, जिन्होंने यूक्रेन पर रूस के इस युद्ध को लेकर सार्वजनिक तौर पर इस्तीफा दे दिया था.
उन्होंने कहा कि अगर रूस युद्ध हार जाता है तो पुतिन अपने देश को बदले में कुछ भी नहीं दे पाएंगे. रूस में हर तरफ निराशा और असहमति ही होगी.

बोन्डारेव ने कहा कि हो सकता है कि रूस के लोग तब ये सोचें कि उन्हें अब पुतिन की जरूरत नहीं है. एक बार जब रूसी लोग पुतिन के इस भ्रमजाल को तोड़ देंगे और वास्तविकता से रूबरू होंगे तो उन्हें पता चलेगा कि पुतिन डर और निराशा के अलावा उन्हें कुछ नहीं दे सकते. उन्हें जैसे ही पता चलेगा कि पुतिन सिर्फ अपने लोगों को डर और धमकी दे सकते हैं, तो चीजें अपने आप बदल जाएंगी.बता दें कि रूस का अभी पूरा ध्यान यूक्रेन के बखमुत क्षेत्र पर है. वहां पर रूसी सैन्य जमावड़ा मौजूद है. रूस ने इस छोटे शहर पर कब्जे की लड़ाई तेज कर दी है.

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