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Friday, July 4, 2025
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गहलोत ने रिटायरमेंट प्लान का दे दिया ‘हिंट’ या पायलट पर निशाना, इन 2 ट्वीट के क्या हैं मायने?

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जयपुर

राजस्थान की पॉलिटिक्स में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डेप्युटी सीएम सचिन पायलट के बीच की जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। पिछले ढाई-तीन साल से दोनों नेता जिस तरह से खुलकर एक दूसरे पर निशाना साध रहे हैं उसके बाद से अब लोग इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि इसका विजेता कौन होगा। राजस्थान में वर्चस्व की जंग में अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए अशोक गहलोत ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद तक का ठुकरा चुके हैं। वह किसी भी कीमत पर सचिन पायलट को राजस्थान की सत्ता में आने नहीं देना चाहते हैं। दिलचस्प यह है कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व भी इस झगड़े को सुलझाने के मूड में नहीं दिख रहा है। लोग उम्मीद कर रहे थे कि राहुल गांधी जब भारत जोड़ो यात्रा लेकर राजस्थान पहुंचेंगे तब वह इस झगड़े का कुछ ना कुछ हल निकालकर जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उल्टा राहुल गांधी ने सचिन पायलट और अशोक गहलोत के साथ जिस तरह का व्यवहार किया उससे तो यही लगता है कि वह चाहते हैं कि दोनों नेता अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव तक साथ मिलकर काम करते रहें। इसी बीच सोमवार को अशोक गहलोत के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से दो ऐसे ट्वीट किए गए हैं जिसको लेकर कयासों का बाजार गरम है।

क्या है अशोक गहलोत के ट्वीट में
बताया जा रहा है कि अशोक गहलोत ने रविवार को भरतपुर में एक जनसभा को संबोधित किया था। उसी भाषण के कुछ अंश सोमवार को ट्वीट किए गए हैं। अशोक गहलोत के जिन दो ट्वीट पर चर्चाएं हो रही हैं वह इस प्रकार हैं-: पहले ट्वीट में अशोक गहलोत ने कहा, ‘मुझसे बड़ा सौभाग्यशाली व्यक्ति कोई हो सकता है क्या जिसको जनता ने इतना प्यार दिया, विश्वास किया हाईकमान ने, मैं इंदिरा गांधी जी के साथ में मंत्री था, राजीवजी के साथ में मंत्री था, नरसिम्हा राव जी के साथ में मंत्री था, 3 बार केंद्रीय मंत्री, 3 बार प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष रहा।’

इसी ट्वीट के दूसरे टेक में लिखा है- ‘3 बार मैं एआईसीसी का महामंत्री और 3 बार मुख्यमंत्री, इतना विश्वास मुझ पर हाईकमान कर रहे है, इसलिए कर रहे हैं कि राजस्थान के लोगों का प्यार, दुलार, आशीर्वाद मेरे साथ में है और मैंने संकल्प ले रखा है, अंतिम सांस तक जो मेरा सेवा करने का संकल्प है कि सेवा ही कर्म है, सेवा ही धर्म है।’

क्या रिटायरमेंट लेने वाले हैं अशोक गहलोत
इन दो ट्वीट में अशोक गहलोत ने अपनी उपलब्धियां गिनाई हैं। राजनीति के जानकार कहते हैं कि आमतौर इंसान जब किसी भी फिल्ड में चरम पर पहुंच जाता है तो अपनी उपलब्धियां खुद गिनाने लगता है। दरअसल, वह उपलब्धियां नहीं गिनाते हैं बल्कि अपने गुजरे दौर को याद करते हैं। एक राजनेता के तौर पर अशोक गहलोत का कद इतना बड़ा है कि उन्हें खुद से बताने की जरूरत नहीं है कि उन्होंने अपने करिअर में क्या-क्या किया है। लेकिन 71 साल की उम्र में वह यह जोर देकर बता रहे हैं कि कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने कौन-कौन से पद संभाले।

अशोक गहलोत के इन दो ट्वीट के दो मायने हो सकते हैं। पहली बात यह हो सकती है कि राहुल गांधी ने उन्हें संदेश दे दिया हो कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें सचिन पायलट को सीएम की कुर्सी सौंपनी होगी। ऐसे में जाते-जाते राजस्थान की जनता को संदेश देना चाहते हों कि उन्होंने कांग्रेस में रहकर काफी सेवा की है। साथ ही अगर उन्हें सीएम की कुर्सी त्यागना भी पड़ा तो जनता के बीच यह मैसेज कतई ना जाए कि उनका गांधी परिवार या कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व से दूरी हो गई है। अगर ऐसा होता है तो पार्टी में साफ मैसेज जाएगा कि सचिन पायलट गांधी परिवार के ज्यादा भरोसेमंद हो चुके हैं।

दूसरी बात यह हो सकती है कि अशोक गहलोत इस तरह की बातें कहकर सचिन पायलट और उनके गुट पर प्रेशर बना रहे हों कि उनसे ज्यादा गांधी परिवार का विश्वासी कोई दूसरा नहीं है। साथ ही वह सचिन को संदेश देने की कोशिश कर रहे हों कि आप अपनी सीमा में रहें, क्योंकि गांधी परिवार के प्रति उनकी विश्वसनीयता के सामने कोई टीक नहीं सकता है।

सचिन पायलट और अशोक गहलोत में विश्वसनीयता दर्शाने की होड़
सचिन पायलट जब कुछ विधायकों को लेकर मानेसर के फार्म हाउस में चले गए थे तब से अशोक गहलोत लगातार दर्शाने की कोशिश करते हैं कि वह पार्टी के विश्वसनीय नहीं हैं। गहलोत लगातार कहते रहे हैं कि वह पार्टी के सच्चे सिपाही हैं। सचिन पायलट अपनी इस दुखती रग को छुपाने की भरसक कोशिश में जुटे रहते हैं। अशोक गहलोत गुट की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव से पहले जिस तरह से केंद्रीय टीम की ओर से बुलाई गई बैठक की अवहेलना की गई उसे सचिन पायलट उठाने की कोशिश में जुटे रहते हैं। पायलट गुट के विधायक उस प्रकरण का जिक्र कर बताने की कोशिश करते हैं कि अशोक गहलोत को केवल कुर्सी प्यारी है वह इसके लिए आलाकमान के आदेश की तिलांजलि भी दे सकते हैं। हालांकि केंद्रीय नेतृत्व गहलोत और पायलट की ओर से विश्वसनीयता दर्शाने के किए जा रहे प्रयासों पर मौन साधे है। इस मौन के बीच अशोक गहलोत का इस तरह का ट्वीट कई सवाल खड़े करते हैं।

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