क्या गुलाम नबी की राह चलेंगे आनंद शर्मा? कांग्रेस के बड़े प्रोग्राम से किया किनारा

नई दिल्ली

कांग्रेस में गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा भी नाराज चल रहे हैं। आनंद शर्मा 21 अगस्त को पहले ही प्रदेश कांग्रेस की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं। इसके बाद आज आनंद शर्मा ने पार्टी की मैनिफेस्टो कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुए। आनंद शर्मा के कार्यक्रम में शामिल नहीं होने को लेकर उनके बारे में राजनीतिक हलकों में अटकलों का बाजार गर्म है। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि पार्टी की तरफ से आनंद शर्मा की नाराजगी को दूर नहीं किया गया तो वह भी गुलाम नबी की तर्ज पर पार्टी से किनारा कर सकते हैं। हालांकि, इस बारे में आनंद शर्मा की तरफ से अभी किसी भी तरह की बात नहीं कही गई है।

अध्यक्ष पद चुनाव को लेकर है नाराजगी
आनंद शर्मा पार्टी में अध्यक्ष पद को लेकर चल रही चुनावी प्रक्रिया से नाराज है। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भी आनंद शर्मा ने मतदाता सूची पर सवाल उठाए थे। शर्मा ने निचले स्तर पर मतदाता सूची और चुनाव प्रक्रिया का मुद्दा उठाया था। शर्मा ने दावा किया था कि उन्हें शिकायत मिली है कि निर्वाचन सूची को अंतिम रूप देने के लिए न तो कोई ऑनलाइन बैठक हुई और न ही प्रत्यक्ष उपस्थिति वाली कोई बैठक हुई। शर्मा ने बैठक में इस बात का भी उल्लेख किया था कि किसी प्रदेश इकाई को उन डेलीगेट की कोई सूची नहीं मिली है जो अध्यक्ष के चुनाव में मतदान करने वाले हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता का कहना था कि इस तरह की प्रक्रिया पूरे चुनाव की शुचिता का हनन करती है। शर्मा ने डेलीगेट की निर्वाचन सूची सार्वजनिक करने की मांग की थी। इस पर मिस्त्री ने कहा था कि चुनाव लड़ने के इच्छुक किसी भी उम्मीदवार और प्रदेश कांग्रेस कमेटियों को यह सूची उपलब्ध कराई जाएगी। पूरे मामले में सोनिया गांधी ने मधुसूदन मिस्त्री से इस मुद्दे का समाधान करने को कहा था। इसके बाद कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण (सीईए) के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री ने आनंद शर्मा से बातचीत की है। इस बात की जानकारी बुधवार को खुद मिस्त्री ने दी। अब देखना होगा कि मिस्त्री की बातचीत के बाद आनंद शर्मा कितना संतुष्ट हुए हैं।

गुलाम नबी से दो बार कर चुके हैं मुलाकात
कांग्रेस को कवर करने वाले पत्रकारों के अनुसार जिस तरह की परिस्थितियां बन रही है, उसके आधार पर आनंद शर्मा यदि पार्टी से किनारा कर लें तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। जानकारों का कहना है कि आनंद शर्मा जम्मू में होने वाली गुलाम नबी की रैली में हिस्सा ले सकते हैं। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि आनंद शर्मा की तरफ से सितंबर के पहले सप्ताह में कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है। आनंद शर्मा पिछले 5 दिन में दो बार गुलाम नबी आजाद से मुलाकात कर चुके हैं। मंगलवार को आनंद शर्मा ने जी-23 के नेता पृथ्वीराज चव्हाण और भूपिंदर सिंह हुड्डा के साथ गुलाम नबी आजाद से मुलाकात की थी। इससे पहले 27 अगस्त को आनंद शर्मा ने गुलाम नबी के आवास पर उनसे मुलाकात की थी। गुलाम नबी आजाद ने कुछ समय पहले ही पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे के बाद गुलाम नबी आजाद सितंबर के पहले सप्ताह में अपनी पहली जनसभा जम्मू में करने जा रहे हैं।

आत्मसम्मान से समझौता नहीं कर सकता
आनंद शर्मा ने कांग्रेस की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते समय सोनिया गांधी से अपनी नाराजगी जाहिर की थी। अपने इस्तीफे में आनंद शर्मा ने कहा था कि वह अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं कर सकते और इसलिए इस्तीफा दे रहे हैं। शर्मा ने कांग्रेस अध्यक्ष से कहा था कि परामर्श प्रक्रिया में उन्हें नजरअंदाज किया गया। इसके अलावा किसी भी मीटिंग में नहीं बुलाया गया। हालांकि उन्होंने सोनिया से यह जरूर कहा था कि वह राज्य में पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार जारी रखेंगे। जी-23 नेताओं का हिस्सा रहे आनंद शर्मा के इस्तीफे के कई मायने निकाले जा रहे थे।

संजय गांधी के समय राजनीति में एंट्री
आनंद शर्मा ने संजय गांधी के समय राजनीति में एंट्री की थी। पेशे से वकील आनंद शर्मा बाद में राजीव गांधी की कोर टीम का हिस्सा बन गए। खासबात है कि आनंद शर्मा ने अभी तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है। कांग्रेस की तरफ से उन्हें राज्यसभा भेजा जाता रहा है। वह अब तक चार बार राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। आनंद शर्मा 1984 में भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे। 1984 में ही वह पहली बार राज्यसभा भेजे गए। आनंद शर्मा मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में वाणिज्य और उद्योग मंत्री रहे।

जी-23 का नेता देगा राहुल को चुनौती
माना जा रहा है कि जी-23 नेता 17 अक्टूबर को होने वाले पार्टी के अध्यक्ष चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं। सूत्रों के हवाले से खबर है कि कांग्रेस नेता शशि थरूर अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि थरूर और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री चव्हाण संभवत: ऐसे उम्मीदवार हैं जो गांधी परिवार के उम्मीदवार को चुनौती दे सकते हैं। कांग्रेस सांसद शशि थरूर की तरफ से अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने पर विचार किए जाने के बारे में पूछे जाने मधुसूदन मिस्त्री ने सीधा जवाब नहीं दिया है। मिस्त्री ने इस बाबत कहा कि मेरा काम चुनाव कराने का है। कौन उम्मीदवार होगा, यह मेरा काम नहीं है। पिछली बार कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव 2000 में हुआ था। उस समय जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी को चुनौती दी थी लेकिन हार गए थे।

एक से अधिक उम्मीदवार तो 17 को वोटिंग
कांग्रेस की ओर से घोषित चुनाव कार्यक्रम के अनुसार, 22 सितंबर को पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव की अधिसूचना जारी होगी, 24 सितंबर से नामांकन दाखिल किए जा सकते हैं। यदि एक से अधिक उम्मीदवार हुए तो 17 अक्टूबर को मतदान होगा। मतगणना 19 अक्टूबर को होगी। मधुसूदन मिस्त्री के अनुसार, चुनाव के लिए निर्वाचन सूची तैयार करने का काम पूरा हो गया है। केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण चुनाव कराने के लिए पूरी तरह तैयार है।

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