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Thursday, July 31, 2025
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सुप्रीम कोर्ट के ‘बोल्ड’ कमेंट के बाद बीजेपी लेगी मंत्री विजय शाह से इस्तीफा? हिम्मत क्यों नहीं जूटा पा रही

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भोपाल

मंत्री विजय शाह की राह अब आसान नहीं है। सुप्रीम कोर्ट से उन्हें कर्नल सोफिया कुरैशी पर टिप्पणी के मामले में राहत नहीं मिली है। एससी ने मंत्री पर कड़क कमेंट्स किए हैं। कोर्ट ने मंत्री के माफीनामे को खारिज कर दिया है। साथ ही मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने के निर्देश दिए हैं। एसआईटी कोर्ट के सामने 28 मई को अपनी पहली रिपोर्ट पेश करेगी। ऐसे में सवाल है कि सुप्रीम कोर्ट से मंत्री को माफी नहीं मिली है तो क्या बीजेपी अभी भी मंत्री विजय शाह को माफ कर देगी या पार्टी उनसे इस्तीफा मांगेगी। आइए आपको अंदर की बात समझाते हैं।

अभी तक बचाव कर रही थी पार्टी
दरअसल, मंत्री विजय शाह मामला तूल पकड़ने के बाद अंडरग्राउंड हो गए हैं। उनका अभी कोई पता नहीं हैं कि वह कहां हैं। वहीं, बीजेपी के अंदर से भी उमा भारती उन्हें बर्खास्त करने की मांग कर रही हैं। एमपी में सरकार के मुखिया मोहन यादव मंत्री के इस्तीफे वाले सवाल को कोर्ट के पाले में डाल दे रहे हैं। साथ ही कांग्रेस पर निशाना साधते हुए विजय शाह का बचाव कर रहे हैं। सीएम मोहन यादव का कहना है कि हम कोर्ट के निर्देशों का पालन करेंगे। वहीं, संगठन भी उनके बचाव में उतरी है।

बीजेपी कर देगी माफ
विजय शाह का मामला दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व के पास पहुंच चुका है। प्रदेश की सरकार और संगठन के हाथ में अब कुछ नहीं है। ऐसे में मंत्री विजय शाह का इस्तीफा होगा या नहीं, यह फैसला दिल्ली को लेना है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना रूख स्पष्ट कर दिया है। ऐसे में सवाल है कि क्या बीजेपी कर्नल सोफिया कुरैशी पर आपत्तिजनक बात करने वाले अपने मंत्री को माफ कर देगी। क्योंकि मंत्री विजय शाह को लेकर पूरे देश में उबाल है। विपक्षी दलों से लेकर आमलोग तक मंत्री को हटाने की मांग कर रहे हैं।

दिखावटी माफी… बाद में लगाए थे ठहाके
बयान देने के बाद जब मंत्री विजय शाह फंस गए तो कैमरे के सामने आकर कर्नल सोफिया कुरैशी से माफी मांगने लगे। कैमरा हटते ही ठहाके लगाकर हंसने लगे। सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनवाई के दौरान कहा है कि कानून से बचने के लिए लोग दिखावटी मगरमच्छ के आंसू निकालते हैं।

बीजेपी की यह रही है रणनीति
बीजेपी की रणनीति रही है कि विपक्ष की मांग पर मंत्रियों के इस्तीफे नहीं होते हैं। कांग्रेस लगातार इस्तीफे की मांग पर अड़ी है। पूरे मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी इसे लेकर प्रदर्शन कर रही है। वहीं, बीजेपी सारी चीजों को इग्नोर कर रही है। पार्टी का अतीत भी कुछ ऐसा ही रहा है, यूपी से लेकर केंद्र के कई मंत्रियों पर गंभीर आरोप लगे। इस्तीफे की मांग उठी लेकिन कभी किसी से इस्तीफा नहीं लिया गया। पार्टी सूत्रों के अनुसार एमपी में भी बीजेपी उसी रणनीति पर काम कर रही है। विपक्ष की मांग पर शाह का इस्तीफा नहीं होगा। हां, पार्टी उन्हें हिदायत जरूर दे दी है। ऐसे में आगे की राह आसान नहीं होने वाला है।

इस्तीफा लेने की हिम्मत क्यों नहीं जूटा पा रही
वहीं, सियासी गलियारे में एक और चीज की चर्चा हो रही है कि आखिर बीजेपी अपने मंत्री विजय शाह से इस्तीफा क्यों नहीं ले रही है। इसके पीछे की वजह आदिवासी फैक्टर है। एमपी में आदिवासी बहुल सीटों पर बीजेपी की सियासी जमीन खिसकती रही है। पार्टी के पास आदिवासियों के कद्दावर नेताओं की कमी है। वहीं, विजय शाह खंडवा के इलाके में आदिवासियों के बीच सर्वमान्य चेहरा हैं। वह खुद हरसूद विधानसभा सीट से आठ बार के विधायक हैं।

इसके साथ ही प्रदेश में 21-22 फीसदी आदिवासियों की आबादी है। आदिवासियों में सबसे अधिक गोंड आदिवासी की संख्या है। मंत्री विजय शाह उसी समाज से आते हैं। गोंड सम्राज्य से भी उनका ताल्लुक है। ऐसे में पार्टी को वोट बैंक छिंटकने का भी डर है।

विवादों से पुराना नाता
हालांकि पहली बार नहीं, जब मंत्री विजय शाह विवादों में फंसे हैं। इससे पहले भी कई बार वह चर्चाओं में रहे हैं। वह पचड़े राष्ट्रीय स्तर के नहीं थे। 2013 में तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान की पत्नी को लेकर विजय शाह ने कमेंट कर दिया था। उस समय उन्हें चार महीने के लिए इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद विद्या बालन ने उनके साथ डिनर करने से इनकार कर दिया तो मंत्री विजय शाह ने शूटिंग रुकवा दी थी। यही नहीं, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के प्रतिबंधित एरिया में उन्होंने दोस्तों के साथ जाकर चिकन पार्टी की थी। यह मामला भी रफादफा हो गया है।

फ्यूचर की सिक्योरिटी चाहते
वहीं, विजय शाह इन विवादों में उलझने के बाद संगठन से फ्यूचर सिक्योरिटी चाहते हैं। अगर वह मंत्री पद से इस्तीफा दे देते हैं तो उनका आगे क्या होगा। इसकी गारंटी देने के लिए प्रदेश में कोई है। यही वजह है कि अब सबकी निगाहें दिल्ली पर टिकी है, वह क्या फैसला विजय शाह को लेकर लेती है। उसी फैसले शाह का भविष्य तय होगा।

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