Vitamin D: आज के दौर में लगभग हर कोई विटामिन डी (Vitamin D) की कमी से जूझ रहा है। यह कमी हड्डियों को कमज़ोर करती है, मांसपेशियों में दर्द पैदा करती है और मूड ख़राब करती है। इसीलिए, बहुत से लोग इस कमी को दूर करने के लिए धूप में बैठना शुरू कर देते हैं। लेकिन, फिर भी वे विटामिन डी की कमी की असली वजह (Reason of Vitamin D Low) को दूर नहीं कर पाते। उन्हें लगता है कि सिर्फ धूप की कमी ही इसकी असली वजह है, पर ऐसा नहीं है। कई अन्य कारक भी हैं जो हमारे शरीर में विटामिन डी की कमी को लगातार बढ़ा रहे हैं। आइए जानते हैं वो 5 मुख्य गलतियाँ:
खान-पान पर ध्यान न देना
हम सब खाना तो खाते हैं, लेकिन सवाल यह है कि हम क्या खा रहे हैं? क्या आपके आहार में ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल हैं जो विटामिन डी प्रदान करते हैं? अगर नहीं, तो यह एक बड़ी गलती है। सिर्फ़ धूप से काम नहीं चलेगा। अपने डाइट में मछली, अंडा, दूध या संतरे जैसे खाद्य पदार्थों को ज़रूर शामिल करें जो विटामिन डी की कमी को दूर करने में मदद करते हैं।
त्वचा का रंग (Skin Color)
यह सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन विटामिन डी की कमी त्वचा के रंग पर भी निर्भर करती है। रिपोर्टों के अनुसार, त्वचा में मौजूद मेलेनिन पिगमेंट (Melanin Pigment) सूरज की रोशनी से प्रभावित होता है। अगर त्वचा का रंग गहरा है, तो मेलेनिन पिगमेंट त्वचा को धूप से बचाता है। यह बचाव कभी-कभी विटामिन डी की कमी का कारण बन जाता है, क्योंकि सूरज की रोशनी त्वचा में पूरी तरह से अवशोषित (absorb) नहीं हो पाती।
बढ़ती उम्र (Advancing Age)
जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है, विटामिन को संश्लेषित (synthesize) करने की शरीर की क्षमता भी कम होती जाती है। इसलिए, बुजुर्ग लोगों में विटामिन डी की कमी सबसे आम तौर पर देखी जाती है। उम्र बढ़ने के साथ हमें विटामिन डी की कमी को दूर करने पर अधिक ध्यान देना चाहिए और सप्लीमेंट्स लेना ज़रूरी हो सकता है।
कुछ मेडिकल कंडीशन या दवाइयाँ
कभी-कभी विटामिन डी की कमी कुछ चिकित्सीय स्थितियों (Medical Conditions) या दवाइयों के कारण भी होती है। अगर आप कोई ऐसी दवा ले रहे हैं जो विटामिन डी के स्तर को कम करती है, तो दवा का कोर्स पूरा होने के बाद इस पर ध्यान दें। आंतों से जुड़ी कुछ बीमारियाँ भी अवशोषण को प्रभावित करती हैं।
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गर्भावस्था या स्तनपान (Breastfeeding)
अगर आप गर्भवती हैं या स्तनपान करा रही हैं, तो आपको विटामिन डी की कमी का खतरा अधिक हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अधिक विटामिन की आवश्यकता होती है। यदि इस स्तर का समय पर ध्यान न रखा जाए, तो बच्चा भी प्रभावित हो सकता है।
