नई दिल्ली
आरबीआई ने रेपो रेट में 25 बेसिस अंक की कटौती की घोषणा की है। नए गवर्नर की नियुक्ति के बाद आरबीआई की एमपीसी की यह पहली बैठक थी और इसमें रेपो रेट में कटौती का फैसला हो गया। पांच साल में पहली बार रेपो रेट में कटौती की गई है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की। मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने रेपो रेट में 0.25% की कटौती करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही रेपो रेट 6.5% से घटकर 6.25% हो गया है। इस तरह मिडिल क्लास को इनकम टैक्स में कटौती के बाद एक और बड़ी राहत मिली है। रेपो रेट में कटौती से सभी तरह के लोन की किस्त में कमी आएगी।
गवर्नर ने कहा कि यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया। RBI ने इससे पहले आखिरी बार मई 2020 में रेपो रेट में कटौती की थी। तब कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए रेपो रेट को 40 आधार अंक 0.40% घटाकर 4% कर दिया गया था। मई 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते RBI ने रेपो रेट बढ़ाना शुरू किया था। इसे मई 2023 में रोक दिया गया था। इस दौरान इसमें 2.5 फीसदी का इजाफा किया गया था। इससे लोगों के लिए लोन महंगा हो गया था। अब एक बार फिर इसमें कटौती का दौर शुरू हो गया है।
क्यों की रेपो रेट में कटौती
देश की इकॉनमी में पिछले कुछ समय से सुस्ती दिख रही थी जिसके कारण रेपो रेट में कटौती की मांग की जा रही थी। सरकार के कई मंत्री भी रेपो रेट में कटौती की मांग कर रहे थे। लेकिन पिछले गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में एमपीसी ने लगातार 11 मीटिंग में इसमें कोई बदलाव नहीं किया। आखिर नए गवर्नर के आते ही मामला बदल गया और एमपीसी ने सर्वसम्मति से रेपो रेट में कटौती करने फैसला किया।
यह संजय मल्होत्रा की RBI गवर्नर के तौर पर पहली बैठक थी। साथ ही MPC के तीन नए सदस्यों के लिए भी यह पहली बैठक थी। पिछले साल अक्टूबर में केंद्र सरकार ने तीन नए सदस्यों की नियुक्ति की थी। इनमें अर्थशास्त्री सौगत भट्टाचार्य, इंस्टीट्यूट फॉर स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट के डायरेक्टर और सीईओ डॉ. नागेश कुमार और दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के डायरेक्टर प्रोफेसर राम सिंह शामिल हैं।
रेपो रेट क्या होता है?
रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है। रेपो रेट कम होने से बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है। इसका असर आम जनता पर भी पड़ता है। बैंकों को सस्ता कर्ज मिलने पर वे आम लोगों को भी कम ब्याज दर पर लोन देते हैं। घर, गाड़ी या पर्सनल लोन लेना आसान हो जाता है। इससे बाजार में पैसा बढ़ता है और अर्थव्यवस्था को गति मिलती है।