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मध्यप्रदेश : कमलनाथ के गढ़ में कांग्रेस की हार, 6 निकाय में से 4 पर BJP, 2 पर कांग्रेस की जीत

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छिंदवाड़ा

पूर्व सीएम कमलनाथ के गढ़ में भाजपा ने निकाय चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त दी। सौसर नगर पालिका परिषद में भाजपा ने एकतरफा जीत हासिल की। कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया। जबकि कांग्रेस इस परिषद में एक भी पार्षद जिताने में नाकामयाब रही। गौर करने वाली बात ये है कि पूर्व सीएम कमलनाथ और उनके सांसद बेटे नकुल नाथ ने लगातार चुनावी सभा की थी। वहीं, जिला पंचायत उपाध्यक्ष अमित सक्सेना को चुनाव की जवाबदारी दी गई थी। इन सबके बावजूद कांग्रेस को यहां शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। विधायक सुनील उईके का गढ़ समझे जाने वाले जुन्नारदेव और दमुआ में कांग्रेस को पराजय का सामना करना पड़ा। जबकि मोहगांव में भी भाजपा अपना परचम लहराने में कामयाब रही।

हर्रई और पांढुर्णा में कांग्रेस का अच्छा प्रदर्शन
हर्रई और पांढुर्णा में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया। बात रही परिषद की जाए तो यहां 15 वार्डों में से 13 में कांग्रेस, एक में निर्दलीय और एक में भाजपा पार्षद को जीत हासिल हुई। इस परिणाम के बाद हर्रई नगर परिषद में कांग्रेस का कब्जा हो गया है। इससे पहले यहां भाजपा की परिषद थी, ऐसे में विकास कार्यों में जमकर कमीशन खोरी और अन्य मुद्दों को लेकर एंटी एनकम्बेंसी का सामना भाजपा को करना पड़ा। जिसके कारण भाजपा को यहां बुरी तरह से पराजय का मुंह देखना पड़ा।

नगर परिषद मोहगांव में BJP ने मारी बाजी
नगर परिषद मोहगांव में भाजपा ने बाजी मार ली। यहां हुए चुनाव में 15 वार्डों में से 9 पर भाजपा 6 में कांग्रेस पार्षद ने अपनी जीत दर्ज की है। मोहगांव में पहले कांग्रेस की परिषद थी। ऐसे में जनता ने इस बार भाजपा को चुना है।

सौसर में कांग्रेस का सूपड़ा साफ
नगर पालिका परिषद सौसर में कांग्रेस ने शर्मनाक प्रदर्शन किया। यहां 15 में से 14 सीट पर भाजपा और एक निर्दलीय पार्षद प्रत्याशी ने चुनाव जीतकर कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया। यहां का चुनाव काफी प्रतिष्ठा पूर्ण समझा जाता था। जहां पूर्व सीएम कमलनाथ और सांसद नकुल नाथ ने कांग्रेस की परिषद बनाने के लिए आम सभा की थी। जबकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस क्षेत्र में रोड शो कर जनता से आशीर्वाद मांगा था।

चुनाव नहीं जीत पाईं पूर्व महिला मोर्चा अध्यक्ष
महिला मोर्चा की पूर्व अध्यक्ष उषा भमोरे को भी भाजपा से बगावत करना भारी पड़ गया। वो बुरी तरह से चुनाव हार गई। चुनाव पूर्व टिकट वितरण को लेकर उषा भमोरे ने भाजपा से बगावत कर निर्दलीय पर्चा दाखिल किया था लेकिन उनकी ये युक्ति काम नहीं आई। उन्हें निराशाजनक हार का सामना करना पड़ा।

जुन्नारदेव में कांग्रेस के हाथ से भाजपा ने छीना था ताज
आदिवासी अंचल जुन्नारदेव नगर पालिका में भाजपा ने कब्जा जमा लिया है। यहां हुए रोमांचक मुकाबले में भाजपा ने कुल 18 वार्ड में से 11 में ऐतिहासिक जीत दर्ज की। वहीं, कांग्रेस 6 और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई। ये पहले कांग्रेस जीत दर्ज की थी। ऐसे में एंटी एनकम्बेंसी फैक्टर भाजपा के लिए अच्छा साबित हुआ। जीत के बाद भाजपा में उत्साह का माहौल देखा जा रहा है, वहीं कांग्रेस कार्यालय में सन्नाटा पसरा हुआ है।

दमुआ में भी भाजपा ने लहराया परचम
जुन्नारदेव की तरह दमुआ में भी भाजपा ने बाजी मार ली। यहां कांग्रेस से नगरपालिका छीनकर भाजपा ने अपना परचम लहरा दिया। हालांकि यहां कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन फिर भी भाजपा से पिछड़ गई। जादुई आंकड़ें की बात करें तो भाजपा 9 कांग्रेस 8 और 1 सीट पर निर्दलीय ने जीत दर्ज की है।

विधायक सुनील उइके के लिए खतरे की घंटी
जुन्नारदेव विधायक सुनील उईके निकाय चुनाव में कोई खास कमाल नहीं दिखा पाए। दरअसल, नगर पालिका परिषद दमुआ और जुन्नारदेव कांग्रेस को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। ऐसे में उनकी कार्यशैली पर सवाल उठ रहे है। क्योंकि दोनों ही जगह उन्हें कांग्रेस परिषद बनाने की जवाबदारी मिली थी। ऐसे में कार्यकर्ताओं में सामंजस्य नहीं बैठा पाए। टिकट वितरण को लेकर भी कोई जगह असंतोष के स्वर उभरे थे। इसको लेकर भी विधायक की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। इस लिहाज से सुनील उईके के लिए इसे खतरे की घंटी माना जा रहा है।

पांढुर्ना में कांग्रेस ने मारी बाजी
पांढुर्णा में कांग्रेस में अच्छा प्रदर्शन किया है, यहां 30 में से 17 सीटों पर कांग्रेस पार्षदों ने अपनी जीत हासिल की। जबकि भाजपा महज 10 सीट पर सिमट कर रह गई। हालांकि तीन सीट पर निर्दलीय पार्षदों ने कब्जा जमाने में कामयाबी हासिल की। गौर करने वाली बात ये है कि पिछले चुनाव में यहां निर्दलीय प्रत्याशी प्रवीण पालीवाल नगर पालिका अध्यक्ष चुने गए थे, जो पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा के रिश्तेदार थे। बाद में उन्होंने भाजपा जॉइन कर ली थी लेकिन उनकी कार्यशैली से जनता में नाराजगी थी। जिसका खामियाजा भाजपा को इस चुनाव में भुगतना पड़ा।

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