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Tuesday, December 23, 2025
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ISRO का ‘बाहुबली’ मिशन CMS-03 लॉन्च आज! नौसेना (Indian Navy) को मिलेंगे सबसे बड़े 5 फायदे, जानें क्या होगा लाभ

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आज अपने इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय जोड़ने जा रहा है. ISRO आज शाम 5:26 बजे (IST) आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अपने ‘बाहुबली’ संचार उपग्रह (Communication Satellite) CMS-03 को लॉन्च कर रहा है. यह मिशन खासकर भारतीय नौसेना (Indian Navy) के लिए एक बड़ा ‘गेम चेंजर’ साबित होगा.

1. नौसेना की संचार शक्ति होगी मजबूत

CMS-03 उपग्रह, जिसे GSAT-7R के नाम से भी जाना जाता है, विशेष रूप से नौसेना के लिए तैयार किया गया है.

  • उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य नौसेना के अंतरिक्ष-आधारित संचार प्रणाली (Space-based communications system) को मजबूत करना है.
  • परिणाम: यह हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region) में नौसेना की परिचालन शक्ति (Operational Power) और समुद्री क्षेत्र में कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा.

2. नौसेना को मिलेंगे 5 बड़े फायदे

यह उपग्रह नौसेना को आधुनिक संचार क्षमताएँ प्रदान करेगा, जो समुद्री सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं:

  • सुरक्षित वॉयस ट्रांसमिशन: नौसेना को सुरक्षित वॉयस ट्रांसमिशन की सुविधा मिलेगी.
  • डेटा संग्रहण: यह बेहतर डेटा संग्रह (Data Collection) करने में मदद करेगा.
  • वीडियो संचार: यह वीडियो संचार सेवाओं को भी मजबूत करेगा.
  • C, Extended C, Ku बैंड: उपग्रह C, Extended C, और Ku बैंड ट्रांसपोंडर से लैस है, जो बेहतर कवरेज सुनिश्चित करेंगे.

3. ISRO का पहला सबसे भारी स्वदेशी उपग्रह

तकनीकी रूप से यह मिशन ISRO के लिए एक बड़ी उपलब्धि है.

  • वजन और लंबाई: CMS-03 का वजन 4410 किलोग्राम है और यह 43.5 मीटर लंबा है.
  • स्वदेशी लॉन्च: यह भारतीय धरती से लॉन्च होने वाला ISRO का पहला सबसे भारी उपग्रह है. इससे पहले, 5854 किलोग्राम का GSAT-11 विदेशी धरती से लॉन्च किया गया था.
  • कार्यकाल: यह उपग्रह 15 साल तक अपनी सेवाएँ देगा.

4. LVM3-M5 रॉकेट का इस्तेमाल

ISRO इस महत्वपूर्ण मिशन के लिए अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट LVM3-M5 का उपयोग कर रहा है.

  • रॉकेट की क्षमता: यह रॉकेट 4,000 किलोग्राम वजन के उपग्रह को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में स्थापित करने की क्षमता रखता है. इसी रॉकेट का उपयोग चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन में भी किया गया था.

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