वृद्ध आश्रम से बचना है तो सनातन परंपरा को अपनाएं – संत मुरलीधर महाराज

-सनातन परंपरा से ही बुजुर्गों को सम्मान मिलेगा
-यू तो धाम धाम में सुख है, लेकिन सुखों का धाम केबल राम हैं

भोपाल

सनातन धर्म की विचारधारा से अलग होने का परिणाम यह है कि आज सबसे ज्यादा संकट गौ माता और वृद्धजन पर है । सनातन परंपरा में हमेशा बुजुर्गों को सम्मान दिया जाता है मातृ देवो भव, पितृ देवो,, भव, आचार्य देवो भव की परंपरा है लेकिन सनातन परंपरा से अलग होने से आज वृद्ध आश्रम की जरूरत पड़ गई है , जवानी अंधी होती है रास्ता भटक जाती है लेकिन अगर बुजुर्गों का साथ मिलता रहा तो इसी में कल्याण है।

जंबूरी मैदान में आयोजित राम कथा के छठवें दिन संत मुरलीधर महाराज द्वारा धनुष यज्ञ एवं राम जानकी विवाह का शुभ मधुर प्रसंग सुनते हुए श्रीरामचरित मानस की चौपाईयों के गायन के साथ वर्णन करते हुए कहा कि हमें धर्मशील होना पड़ेगा यदि हम धर्मशील है तो हमें इसके अलावा और कुछ करने की आवश्यकता नहीं । जैसे सागर में सभी नदियां जाकर समाहित हो जाती है उसकी अपनी कामना नहीं होती है उसी तरह यदि हम भी धर्मशील रहेंगे तो सभी सुख संपत्ति स्वयं अपने आप आ जाती है ।

शनिवार को धनुष यज्ञ प्रसंग और लक्ष्मण परशुराम संवाद का बखान करते हुए महाराज जी ने कहा कि परशुराम जी ने जब भगवान राम का व्यापक स्वरूप देखा तो नतमस्तक हो गये । उहोंने कहा कि यूं तो धाम-धाम में सुख है लेकिन राम नाम सुखों का धाम है । कालयुग में केवल राम नाम आधार हैं । इसके बाद बड़ी सुंदर सुमधुर चौपाइयों के साथ राम जानकी विवाह का वर्णन किया। उनके मंत्र मुग्ध भजनों पर सखी धनुष बड़ो विकराल राम रघुवर छोटो सो राम गले डालो माला री झुक जइयो लल्लन माता कौशल्या के लाल जैसे भजनों पर भक्त गण झुमकर नाचते रहे।

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