नई दिल्ली,
पहलगाम हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. भारत लगातार आतंकवाद को पनाह दे रहे पाकिस्तान पर एक्शन ले रहा है. पिछले दो दिनों में दोनों देशों के बीच जमकर गोलाबारी भी हुई. इस सबके मद्देनजर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अपने भाई और वर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को सलाह दी है कि वह स्थिति को कूटनीतिक तरीके से संभालें.
पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट द एक्सप्रेस ट्रिब्यून में छपी खबर के मुताबिक नवाज शरीफ, जो हाल ही में लंदन से पाकिस्तान लौटे हैं, ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की बैठक में लिए गए निर्णयों पर जानकारी प्राप्त करने के बाद शहबाज शरीफ से मुलाकात की. बैठक में भारत द्वारा सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को निलंबित करने के फैसले के बाद की रणनीति पर चर्चा हुई थी.
रिपोर्ट के अनुसार, नवाज शरीफ ने कहा कि मौजूदा स्थिति में पाकिस्तान को आक्रामक रवैया अपनाने के बजाय सभी उपलब्ध कूटनीतिक साधनों का उपयोग करना चाहिए, ताकि दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच तनाव को कम किया जा सके और क्षेत्र में शांति स्थापित की जा सके.
उन्होंने पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (PML-N) के नेतृत्व वाले गठबंधन सरकार से अपील की कि वह इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रभावी ढंग से उठाए और भारत पर वैश्विक दबाव बनाने के लिए राजनयिक प्रयास तेज करे.
इससे पहले 2023 में नवाज शरीफ ने भारत के साथ अच्छे संबंधों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा था कि 1999 में उनकी सरकार को इसलिए हटाया गया क्योंकि उन्होंने कारगिल युद्ध का विरोध किया था. द न्यूज इंटरनेशनल के अनुसार नवाज ने कहा था कि पीएमएल-एन ने हमेशा अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन हमेशा सत्ता से बाहर कर दिया गया. नवाज ने कहा था, “मैं जानना चाहता हूं कि 1993 और 1999 में मेरी सरकारों को क्यों हटाया गया? क्या इसलिए क्योंकि हमने कारगिल युद्ध का विरोध किया था?”
बता दें कि नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे जब 12 अक्टूबर 1999 को तख्तापलट में उनकी सरकार को हटा दिया गया था. पिछले साल नवाज ने यह भी स्वीकार किया था कि पाकिस्तान ने 1999 में भारत के साथ हुए समझौते का ‘उल्लंघन’ किया था. पूर्व पीएम ने कहा था, “28 मई 1998 को पाकिस्तान ने पांच परमाणु परीक्षण किए. उसके बाद वाजपेयी साहब यहां आए और हमारे साथ समझौता किया. लेकिन हमने उस समझौते का उल्लंघन किया. यह हमारी गलती थी.”
शरीफ द्वारा उल्लिखित समझौता “लाहौर घोषणा” था, जिस पर उन्होंने और तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 21 फरवरी, 1999 को भारत और पाकिस्तान के बीच शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ हस्ताक्षर किए थे. हालांकि, हस्ताक्षर के तुरंत बाद, पाकिस्तानी सैनिकों ने जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले में घुसपैठ की, जिसके कारण कारगिल युद्ध हुआ.