-विश्व भरण पोषण कर जोई,ताकर नाम भरत अस होई
भोपाल
संत मुरलीधर महाराज जी ने गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीराम चरितमानस के अयोध्या काण्ड में वर्णित राम के वन गमन प्रसंग का बड़ा ही मार्मिक चित्रण करते हुए भरत जी के चरित्र के बारे में कहा कि विश्व भरण पोषण कर जोई,ताकर नाम भरत अस होई । भरत जी के चरित्र जीवन शैली के सम्बंध में कहा कि भगवान श्रीराम के चरण कमल में जिनका मन रत है वो भरत है भरत एक नाम है संविदा है,ब्रह्म है यही समझने की जरूरत है ।
उन्होंने आगे कहा कि पूर्वजों के पुण्यों के कारण ही मनुष्य इस कलिकाल में रामचरित्र की कथा सुनने का निमित्त बनता है पूज्य मुरलीधर जी ने कहा कि भरत नाम लेने भर जीवन के प्रपंच, झंझटों का नाश हो जाता है जिस व्यक्ति का अंत:करण निरंतर भजन में रत रहता है उसमें भरत जी का स्वभाव समाहित हो जाता है । उन्होंने कहा कि वेद की महिमा अतुलनीय है परन्तु मानस के बिना रामकथा भी अधूरी है। भेल भोपाल के जंबूरी मैदान में आयोजित रामकथा के आठवें दिवस संत मुरलीधर महाराज जी ने कहा कि पूजा जप करते रहने से भक्ति प्राप्त नहीं होती है जब भगवान के प्रेम में नेत्र सज़ल होने लगे तब भक्ति प्राप्त होती है भगवान व्यक्ति के पुरुषार्थ एवं गुणों से प्राप्त नहीं हो सकते हैं यह तो भगवत कृपा की है जो हमें ईश्वर से मिलाती है ।
उन्होंने कहा कि चमत्कार मंदिर में विराजित मूर्ति से नहीं होते हैं बल्कि जब प्रेम पूजा से उस मंदिर में स्थापित विग्रह को जागृत कर लिया जाता है तो व्यक्ति की कामनाएं पूर्ति होने लगती है महाराज जी ने कहा कि जहां भी विस्तार वादी नीति होगी वह विवाद होंगे अनिष्ट होंगे यदि विकासवादी नीति लेकर चलेंगे उसी से समाज का कल्याण संभव है ।
कथा में उन्होंने अयोध्या से भरत जी के चित्रकूट जाने की प्रसंग का वर्णन करते हुए भरत और निषाद जी की कथा कही महाराज जी के भजनों को उठ जाग मुसाफिर, नाथ देखोगे अवगुण हमारे, भरत चले चित्रकूट सुनकर श्रोता भक्त गणों के नेत्र सज़ल हो गए। मंगलवार कथा का विश्राम दिवस है एवं कथा प्रात: 10 से 12 बजे तक होगी । सकल समाज वरिष्ठ नागरिक सेवा समिति के अध्यक्ष रमेश रघुवंशी बताया कि कथा समापन के अवसर पर मंगलवार को महाप्रसाद एवं भंडारे का आयोजन भी किया गया है ।