भोपाल
जल को बचाया जा सकता है, बनाया नहीं जा सकता। यह बात बरखेड़ा रामलीला मैदान पर चल रही श्रीमद भागवत कथा के पांचवे दिन आचार्य मनोज अवस्थी ने कही। आचार्य ने कहा भगवान कृष्ण ने पांच तत्व शोधन की लीला की। भगवान के पांचों तत्व मेरे में हैं और मैं पांचों में। जल संरक्षण पर जोर देते हुए आचार्य ने कहा कि जल को बचाया जा सकता है, बनाया नहीं जा सकता। जब यमुना का जल प्रदूषित होने लगा था, तब भगवान ने स्वयं यमुना में कूद कर उसकी रक्षा की।
आचार्य ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर वर्तमान काल की परिस्थितियों को देखते हुए लोगों से अपील कि की जो लोग जल का व्यर्थ उपयोग करते हैं, वे जल का महत्व समझें और उसको संरक्षित करें। जल संरक्षित रहेगा, तभी राष्ट्र सरंक्षित हो पाएगा। लोगों से पेड़ लगाने का भी आग्रह किया और संदेश दिया कि पेड़ पौधे, तभी हमारा जीवन संभव है। आचार्य ने कहा भविष्य में जल और पर्यावरण को संरक्षित नहीं किया गया तो ये अगले विश्व युद्ध का विषय बन सकता है।
आचार्य ने कथा में जल संरक्षण को लेकर कहा कि बिना जल के संकल्प भी नहीं हो सकता है, इसलिए जल का महत्व सर्वाधिक है। जल के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती, इसलिए जल संरक्षण बहुत आवश्यक है। भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान ने गिर्राज को अंगुली पर धारण किया। महाराज ने बताया कि कण-कण में भगवान का दर्शन हम सबको करना चाहिए।