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Wednesday, July 2, 2025
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जाति जनगणना: पॉकेट से अश्विनी वैष्णव ने निकाला कागज का टुकड़ा और विपक्ष की पूरी कर दी मांग

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नई दिल्ली:

जाति जनगणना को लेकर मोदी सरकार ने बड़ा फैसला किया है। बुधवार इस फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार ने मुख्य जनगणना में जाति जनगणना को शामिल करने का फैसला किया है। कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स ने यह निर्णय लिया है। पाकिस्तान से तनाव और भारत के जवाबी कार्रवाई के इंतजार के बीच आज ही CCS और CCPA की बैठक हुई और इस मीटिंग के बाद सरकार के फैसले का इंतजार किया जा रहा था। इस बीच सरकार की ओर से इस बड़े फैसले की जानकारी दी जाती है। शुरुआत में अश्विनी वैष्णव केन्द्रीय मंत्रिमंडल के शिलॉन्ग से सिलचर तक हाई-स्पीड कॉरिडोर हाईवे परियोजना, किसानों के लिए गन्ने के उचित मूल्य की जानकारी दे रहे थे। आखिरी वक्त में जब प्रेस ब्रीफिंग खत्म होने वाली थी तभी उन्होंने चुपचाप पॉकेट से एक पर्चा निकालकर जाति जनगणना वाली बात पढ़ दी।

सरकार का यह फैसला इस लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि विपक्ष की ओर से लगातार इस मुद्दे को उठाया जा रहा था। 2024 के लोकसभा चुनाव में तो इंडिया गठबंधन में शामिल अधिकांश दलों ने इस मांग को जोर-शोर से उठाया था। साथ ही यह ऐलान किया था कि उनकी जब सरकार आएगी तो जातिगत जनगणना होगी। लोकसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी तो लगातार इस मांग को दोहराते रहे हैं। वहीं इस फैसले को बिहार चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है।

बिहार इकलौता ऐसा राज्य है जहां जाति आधारित सर्वे रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया। आंध्र और तेलंगाना में जाति आधारित सर्वे शुरू हुआ लेकिन उसकी रिपोर्ट नहीं आई। राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा लिए गए निर्णयों की घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जनगणना केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आती है लेकिन कुछ राज्यों ने सर्वेक्षण के नाम पर जाति गणना की है। वैष्णव ने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों ने राजनीतिक कारणों से जाति आधारित सर्वेक्षण कराया गया है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का संकल्प है कि आगामी अखिल भारतीय जनगणना प्रक्रिया में जातिगत गणना को पारदर्शी तरीके से शामिल किया जाएगा। भारत में प्रत्येक 10 साल में होने वाली जनगणना अप्रैल 2020 में शुरू होनी थी, लेकिन कोविड महामारी के कारण इसमें देरी हुई। आसान शब्दों में कहें तो अब जनगणना में यह भी पता चलेगा कि देश में किस जाति के कितने लोग हैं। सरकार का मानना है कि इससे विकास योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू करने में मदद मिलेगी।

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